वृक्षारोपण महाकुंभ योजना भी जिले में हुई धड़ाम। ✍????✍????पत्रकार अतुल कुमार यादव की रिपोर्ट---- विभागीय भ्रस्टाचार को भेंट चढ़ गई भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना। नए पौधों का रोपण कर गर्दन बचाने का प्रयास कर रहे अधिकारी। प्रतापगढ़। भारत सरकार के द्वारा चलाई गई वृक्षारोपण महाकुंभ योजना भी जनपद में धड़ाम हो गई। देश में हरियाली लाने के लिए शासन द्वारा चलाई गई इस योजना के तहत प्रदेश में 22 करोड़ पौधों का रोपण किया जाना था। इस योजना के संचालन पर विभाग ने बढ़-चढ़कर प्रचार प्रसार भी किया था। जनपद में इस मुहिम को चलाने के लिये जिले के लगभग सभी विभागों को वृक्षारोपण के लिए सहयोग लिया गया था, किंतु विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते भारत सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना भी परवान नही चढ़ सकी। योजना का लाभ धरातल तक पहुंचने की जगह कागजी आकड़ों में सिमट कर रह गयी। मामले का खुलासा भारत सरकार की जांच टीम के जिले मे पहुँचने के बाद हुआ। मांधाता विकासखंड के 33 ग्राम पंचायतों में योजना के तहत रोपित किये गए पौधों की भारत सरकार की टीम द्वारा जांच की जा रही है। जांच के दौरान कुछ ग्राम पंचायतें ऐसी भी देखने को मिली जहां पौधरोपण की बात तो कही जा रही है किंतु मौके पर एक भी पौध सुरक्षित दिखाई नही पड़ रहे है। अपनी गर्दन बचाने के लिए विभाग के अधिकारी ग्राम प्रधानों के सहयोग से नए पौधों को रोपित कर जांच टीम को गुमराह करने का प्रयास करते देखे जा रहे है। जांच टीम को रोपित पौधों का सत्यापन कराने में अधिकारी माथे से पसीना पोछते हुए तरह-तरह के हथकंडो का प्रयोग कर रहे हैं। इस सम्बंध में प्रधानों का कहना है कि योजना के तहत सम्बंधित विभाग ने कमजोर किस्म के छोटे पौधों का आवंटन किया था, तथा पौध रोपण के बाद विभाग द्वारा उनकी सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नही किया गया था। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत रोपित पौधों की सुरक्षा के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायतों में एक एक पौध संरक्षक की नियुक्ति की जानी थी उनका काम रोपित पौधों की परवरिश अपने बच्चों जैसी करने को थी। किन्तु पौध रोपण के बाद विभाग द्वारा पौध संरक्षकों को नियुक्त नही किया गया। परिणामस्वरूप रोपित पौधे सुरक्षा व परवरिश के अभाव में सूख गए। इस तरह जिले में इस योजना पर खर्च हुआ करोड़ो रूपया भी नदी के पानी की तरह बह गया। इस सम्बंध में पत्रकारों ने जब विभाग के प्रभारी निदेशक से वार्ता करनी चाही तो उन्होंने व्यस्त होने की बात कहकर फोन काट दिया। देखना यह है कि वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारी जिले में जांच के लिए पहुंची भारत सरकार की टीम को भी अपने रंग में रंग लेते है अथवा इस योजना के संचालन में किये गए गड़बड़ी की उन्हें कीमत चुकानी पड़ेगी।