प्रयागराज : जन्म से सुनने और बोलने में सक्षम न होना एक गंभीर समस्या है जिसका असर आजीवन रह सकता है। यदि अभिभावक बच्चों की इन क्षमताओं को लेकर शुरुआती समय में सावधान रहें तो बच्चों को इस समस्या से बचाया जा सकता है। बच्चों में बोलने और सुनने की समस्या का सफल उपचार कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी से संभव है।

कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. अमित केसरी के अनुसार जन्म के बाद जब बच्चा सुनना शुरू करता है तो ही उसमें बोलने की क्षमता का विकास होता है। आमतौर पर छ: माह की आयु तक अभिभावकों को पता चल जाता है कि उनके बच्चे को सुनने में कोई समस्या है या नहीं। यही समस्या होती है तो तुरंत चिकित्सक या इ.एन.टी. विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी एक सफल उपचार है जिससे सुनने की क्षमता विकसित हो जाती है। लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि यह पांच वर्ष तक के बच्चों में ही सफल होती है। इसलिए बच्चे की आयु पांच वर्ष होने से पहले ही उपचार करवाना आवश्यक है।

दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग की ओर से संचालित ‘बचपन डे केयर सेन्टर’ दिव्यांगजन बच्चों की प्री-प्राथमिक पाठशाला है। स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के पास स्थित इस विद्यालय के केंद्र समन्वयक चंद्रभान द्विवेदी के प्रयासो ने कई श्रवण दिव्यांग मासूमों के जीवन में कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के जरिए रंग भरे हैं। अब ये बच्चे एक बेहतर भविष्य के लिए अपनी क्षमताओं का पूरा प्रयोग कर सकेंगे। श्रवण दिव्यांगों के लिए कॉक्लियर इंप्लांट वरदान की तरह है। इस सर्जरी के सफल हो जाने पर श्रवण दिव्यांग बच्चों में सुनने की क्षमता विकसित हो सकती है। चंद्रभान द्विवेदी बताते हैं कि हमारे संस्थान से सौम्या, अंशुल, आराध्या की कॉकलियर इम्प्लांट सर्जरी हुयी है। संस्थान के अलावा भी छात्रा एंजल चौरसिया की सर्जरी भी विभाग द्वारा करवाई गई हैं। जिन बच्चों की सर्जरी हुयी है उनके सुनने व बोलने की क्षमता में सकारात्मक बदलाव आया है। बच्चों की स्पीच थेरेपी जारी है।

प्रयागराज के चार वर्षीय रूद्र मिश्र और संसथान के छात्र कार्तिक की कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी मार्च में ही हुई है। कार्तिक के पिता नागेन्द्र कहते हैं कि सर्जरी में उन्हें एक भी रुपया खर्च नहीं करना पड़ा, सारा खर्च विभाग देख रहा है। इस योजना से आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों को बहुत मदद मिल रही है। एंजेल की माँ सपना बताती हैं कि सर्जरी के बाद बच्ची को बहुत ही अधिक लाभ मिला है, अब वह सुनती है और बोलती भी है। सपना चाहती हैं कि लोग इसके लिए जागरूक हों ताकि दूसरे बच्चों को भी लाभ मिल सके।

अनुदान राशि से सर्जरी नि:शुल्क संभव

जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी नन्द किशोर याग्निक के अनुसार कॉकलियर इम्प्लांट का खर्च आर्थिक तौर पर कमजोर परिवार वहन नहीं कर पाते हैं। इसके लिए राज्य सरकार के दिव्यांग जन सशक्तिकरण विभाग की शल्य चिकित्सा अनुदान योजना के तहत 6 लाख रूपए की अनुदान राशि से सर्जरी नि:शुल्क संभव है। विभाग ऐसे बच्चों के स्वास्थ एवं विकास के लिए विभिन्न प्रकार की अनुदान राशि प्रदान कर दिव्यांगजनों के कल्याण हेतु कार्य कर रही है। यदि किसी बच्चे को सुनने व बोलने की समस्या हो और उनकी आयु पांच वर्ष से ज्यादा नही है तो उसके अभिभावक विभाग से संपर्क कर सकते हैं, विभाग उनकी पूरी सहायता करेगा।