जंघई। पंडित बद्री प्रसाद मिश्रा के आवास असवां जंघई में आयोजित संगीतमय भागवत कथा के अंतिम दिन सोमवार को कथा वाचिका साध्वी अन्नपूर्णा माँ ने कथा के दौरान परीक्षित मोक्ष, सुदामा चरित्र का मनोरम ढंग से वर्णन किया। सुदामा चरित्र का वर्णन अत्यंत मार्मिक और भावपूर्ण ढंग से किया गया। जिससे उपस्थित श्रद्धालु भावुक हो गए। सुदामा चरित्र के माध्यम से लोगों को निःस्वार्थ भाव से मित्रता निभाने का संदेश दिया गया। अन्नपूर्णा माँ ने कहा कि श्रीमद्भागवत संपूर्ण सिद्धांतों का निष्कर्ष है। भागवत कथा को सुनने से जन्म-मृत्यु के भय का नाश होता है। यह ग्रंथ भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है। यही नहीं भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का यह प्रधान साधन है। मन की शुद्धि के लिए श्रीमद्भागवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। भक्ति, ज्ञान, वैराग्य तथा से त्याग की प्राप्ति होती। भगवान कृष्ण की लोक मानस को गौ पालन की प्रेरणा के संदेश के परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि गौ दुग्ध, दही, मक्खन शरीर बुद्धि को पुष्ट करते हैं, जिसके बल पर ही भगवान श्रीकृष्ण शत्रुओं का संहार करने में सफल रहे।सात दिवसीय भागवत कथा के अंतिम दिन कहा कि भगवान अपने भक्तों को कभी नहीं छोड़ते। जैसे ही भगवान को उनके द्वारपाल ने बताया कि महल के बाहर एक ब्राह्मण आया है और अपना नाम सुदामा बता रहा है, तो भगवान खुद भाव विह्वल हो गए। उन्होंने यह भी नहीं देखा कि खड़ाऊं कहां है। वह नंगे पैर ही सुदामा से मिलने के लिए दौड़ पड़े और उन्हें महल के अंदर लाकर सिंहासन पर बैठा दिया। कथा के दौरान उन्होंने 24 गुरुओं की प्रसंग पर भी गंभीरता से प्रकाश डाला। इसके बाद भगवान द्वारा यदुवंश का विनाश और गोधाम जाने की कथा सुनाई। कथा के अंतिम दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल थे।कार्यक्रम आयोजक कृष्ण कुमार बाबा मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत किया एवं आभार प्रकट किया।कथा में भागवत भगवान की पूजा के यजमान विजय कुमार मिश्रा, विनोद मिश्रा, डाक्टर अशोक मिश्रा, अनिल मिश्रा, आचार्य धरणीधर शुक्ला, मनमोहन पांडेय, सत्यम दुबे, हरिशंकर दुबे, कपिल शुक्ला, जयप्रकाश शुक्ला, हरिशंकर तिवारी, राकेश शुक्ला, देवेंद्र दुबे, गिरिजा मिश्रा, विनय मिश्रा, अनिल पांडेय, मदन मिश्रा, रतन मिश्रा, एडवोकेट कुशलेश दुबे, नीरज जायसवाल, राजू जायसवाल, संदीप, प्रदीप, राघवेंद्र, वीरेंद्र, आशुतोष, अमित, अभिषेक, अनुराग, शिवेंद्र, सुमित, गौरव, अंशुमान, प्रांजल, प्रत्युश, प्रखर, यश, अभ्दुय, शिवाय, प्रज्ञान, आरव सहित सैकड़ों गणमान्य लोग मौजूद रहे।