प्रतापपुर।गुरु पूर्णिमा के अवसर पर राज राजेश्वरी चक्रसुदर्शनपुरी, धनूपुर आश्रम में श्रीमद् जगतगुरु रामानुजाचार्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री हरिप्रपन्ना चार्य जी महराज प्रयाग पीठाधीश्वर शक्तिपीठ का भक्तों ने पूजन अर्चन करके पुण्य एवं आशीर्वाद प्राप्त किया।इस अवसर महाराज ने कहा कि गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है।गुरु यानी शिक्षक की महिमा अपार है। उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। वेद, पुराण, उपनिषद, गीता, कवि, सन्त, मुनि आदि सब गुरु की अपार महिमा का बखान करते हैं। शास्त्रों में ‘गु’ का अर्थ ‘अंधकार या मूल अज्ञान’ और ‘रू’ का अर्थ ‘उसका निरोधक’ बताया गया है, जिसका अर्थ ‘अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला’ अर्थात अज्ञान को मिटाकर ज्ञान का मार्ग दिखाने वाला ‘गुरु’ होता है। गुरु को भगवान से भी बढ़कर दर्जा दिया गया है। इस अवसर पर पंडित अशोक शुक्ला, अनुज महाराज, पंडित अंबुज द्विवेदी सहित तमाम लोगों ने गुरु पूर्णिमा पर महाराज का आशीर्वाद, सानिध्य, स्नेह प्राप्त किया।