प्रतापपुर।क्षेत्र के हरभानपुर,खोजापुर में पूर्व प्रधान भूलेश्वर नाथ त्रिपाठी के आवास पर चल रहे संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक महाराज ने शिव विवाह का प्रसंग सुनाया। जिसे सुनकर उपस्थित श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गए।इस दौरान भक्तों ने नृत्य भी किया।

कथा का वाचन करते हुए कथावाचक महाराज ने कहा शिव-पार्वती का विवाह भव्य तरीके से संपन्न हुआ। माता पार्वती के परिवार की तरफ से अनेक राजा-महाराजा और रिश्तेदार विवाह में शामिल थे। बताया शिवजी अजन्मे है और उनका कोई परिवार नहीं बल्कि वह स्वंय सभी के परिवार कहे जाते है। शिव बारात में ब्रह्माजी, विष्णुजी समेत सभी देवी-देवता, सुर-असुर अपने सारे झगड़े भुलाकर पहुंचे थे। शिव पशुपति हैं,मतलब सभी प्राणियों के देवता भी हैं, इसलिए समस्त जानवर, कीड़े-मकोड़े और सारे जीव जंतुओं के अलावा भूत-पिशाच और विक्षिप्त लोग भी विवाह में शिवजी की तरफ से पहुंचे। बताया कि रुद्रप्रयाग में स्थित 'त्रियुगी नारायण' एक पवित्र जगह है, माना जाता है कि सतयुग में जब भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया, तब यह ‘हिमवत की राजधानी था।विवाह मंडप की अग्नि आज भी वहां प्रज्ज्वलित है। मान्यता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए त्रियुगीनारायण मंदिर से आगे गौरी कुंड कहे जाने वाले स्थान माता पार्वती ने तपस्या की थी, और बाद में भगवान शंकर ने इसी मंदिर में माता पार्वती से विवाह किया।इस मौके पर अरविंद मिश्रा,अरुणेश त्रिपाठी, राधेश्याम मिश्रा,देवेंद्र मिश्रा,संतोष द्विवेदी, कमलेश तिवारी,सुनील तिवारी, प्रकाश तिवारी,श्याम नारायण शुक्ला, जटा शंकर तिवारी, रमेश तिवारी,लालजी यादव, राममूर्ति यादव, संपत सरोज,रागनी सरोज, राजेंद्र यादव,जितेंद्र शर्मा,प्रतिमा मिश्रा,मिश्रा,सुशीलादेवी, श्री नारायण शुक्ला, रामजी शुक्ला, गौरी शुक्ला बनारसी शुक्ला,दया शंकर शुक्ला,रामचन्द्र शुक्ला,आजम नारायण तिवारी,मनोज तिवारी,राजू तिवारी सहित गाँव के सैकड़ो भक्तगणों ने कथा का रसपान किया।