प्रयागराज। नैनी में ढाबा संचालक सुनील मिश्रा ने मंगलवार को व्रत रखा था। वह कई दिन बाद घर आया था। रात करीब साढ़े तीन बजे के बाद जब उसने बेटी को बोतल में पानी लेकर छत पर जाते हुए देखा तो खुद भी पहुंच गया। वहां स्लैब के नीचे बैठे युवक को देख सुधबुध खो बैठा। गुस्से में कमरे से पिस्टल उठाई और बेटी और उसके प्रेमी को दो-दो गोली मार दी। फिर उसने अपनी कनपटी पर पिस्टल सटाकर गोली मारना चाहा, लेकिन बुलेट फंस गई। पीछे से पत्नी और परिवार के लोगों ने पिस्टल पकड़ ली, जिससे उसकी जान जाने से बच गई। घटना के बारे में ऐसा ही कुछ बताते हुए सुनील रो पड़ा। पुलिस ने सवाल किया तो कहा कि उसे यकीन नहीं था कि बेटी ऐसा कुछ भी कर सकती थी, लेकिन उसकी कारस्तानी ने परिवार को शर्म से झुका दिया। एसपी यमुनापार सौरभ दीक्षित ने बताया कि सुनील अपने ढाबे पर ही ज्यादातर रहता था। मगर पिछले कुछ दिनों से उसके परिवार वालों को बेटी की हरकतों पर शक हो रहा था। वह संदेह मंगलवार देर रात यकीन में बदल गया, जिसके बाद कुछ ही मिनट में पूरी घटना हो गई। घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने देखा कि आयुषी खून से लथपथ तड़प रही है। पुलिस ने अस्पताल न भिजवाने का कारण पिता से पूछा तो वह कुछ जवाब नहीं दे पाया। मां भी खामोश रही। इसी आधार पर उस पर शक हुआ, जिसके बाद हिरासत में लेकर पूछताछ की गई और फिर वह टूट गया। कुछ लोगों का कहना था कि अगर परिवार के दूसरे सदस्य भी सुनील के साथ छत पर चले जाते तो शायद घटना न हो पाती।

    

मानवाधिकार मीडिया रिपोर्ट पूनम चौरसिया की रिपोर्ट