जंघई।आदर्श राम लीला समिति असवां तिवरान में आयोजित रामलीला मंचन में सीता स्वयंवर धनुष यज्ञ का मंचन किया गया। स्वयंवर में देश-विदेश के राजा शामिल हुए सभी ने शिवजी के धनुष को उठाने की कोशिश की, लेकिन उठाना तो दूर हिला तक न सके। बेटी सीता का विवाह न होता देख राजा जनक परेशान होकर गुस्से में आकर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं मालूम था पृथ्वी वीरों से खाली हो चुकी है। कठोर वचनों से अपमान महसूस कर लक्ष्मण खड़े हुए और कुछ बोलने को हुए तो भगवान राम ने जनक को पिता का स्थान देकर शांत होकर बैठने को कहा।वहीं गुरु की आज्ञा पाकर भगवान राम ने पलक झपकते धनुष को उठा लिया और प्रत्यंचा खीेंचते ही तेज गर्जना के साथ धनुष टूट गया धनुष टूटने के बाद सीता ने उनके गले में वरमाला डाल दी चारों ओर से फूलों की वर्षा होने लगी।इस अवसर पर पंडित उमेश शुक्ला, सुभाष चंद्र मिश्र, चंद्रमणि तिवारी, प्रवीण तिवारी, रविंद्र तिवारी, विकास कुमार शुक्ला, रामकृष्ण तिवारी, सूरज तिवारी, विकास तिवारी, शिवम तिवारी, आशीष तिवारी, राहुल तिवारी, हरिओम पांडेय, आकाश तिवारी, अभिषेक तिवारी चंचल मिश्रा सहित तमाम लोग मौजूद रहे।