जंघई। आशीर्वाद गेस्टहाऊस जंघई बाईपास प्रांगण में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के समापन दिवस पर सुदामा चरित्र एवं शुकदेव पूजन की कथा को आगे बढ़ाते हुए कथा व्यास रामानुजाचार्य श्रीधराचार्य महाराज ने सुदामा चरित्र पर प्रकाश डालते हुआ कहा कि सुदामा जब अपने बाल सखा कृष्ण से मिलने जाते हैं तो द्वारपाल रोक लेते है और कहते खबरदार कहा जा रहे हो।इस पर सुदामा अनुनय विनय करते हैं, हे द्वारपालों मैं कृष्ण का बालसखा सुदामा हूँ मुझे अपने केशव से मिलने दो लेकिन द्वारपाल सुदामा को धक्का देकर जमीन पर नीचे गिरा देते है। जिसको सुनकर कृष्ण दौड़े चले आए और देखा कि उनके बचपन के सखा सुदामा है और दोनों के आखों अश्रु धारा बह निकली दोनों गले लग कर खुब रोये। कृष्ण ने अपने आँसुओं से सुदामा के पैर धोये और ससम्मान महल मे ले जाकर अंदर विठाया और स्वागत किया।इसके पूर्व कथा मे रास पंचाध्यायी एवं रुक्मिणी विवाह एवं गोपीयों से विरह वेदना पर विस्तार से महाराज ने प्रकाश डाला।महाराज ने कहा कि हम लोग धन्य है कि भगवान भारत में जन्म लेते हैं वह भी उत्तर प्रदेश में राम अवतार, कृष्ण अवतार के रूप में। आज के युवा पश्चिमी सभ्यता पर अधिक जोर देते हैं जिससे पतन हो रहा है हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति से सुंदर संस्कृति पूरे विश्व में कहीं नहीं है हमें अपनी संस्कृति को बचाना है जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी सीख लें भागवत कथा से पूरा क्षेत्र भक्ति रस में सराबोर है।भागवत कथा में कई प्रसंगों पर भागवत पुराण सुनने वालों की आखों से झर झर आँसू गिरने लगे।कथा समापन के बाद आरती प्रसाद वितरण हुआ।इस अवसर पर मुख्य यजमान रामेश्वर प्रसाद ऊमरवैश्य, मीरा देवी, एडवोकेट मनोज कुमार  बबीता देवी, मनीष कुमार बिंदू, आशीष कुमार गुंजन, पवन कुमार, कृष्ण कुमार, कामता प्रसाद, राधेश्याम तिवारी, राजमनि सिंह, रामवृक्ष मिश्रा,  शिवधारी दुबे, मिलन दुबे, हरिश्चंद्र मिश्रा प्रधान, राजू भाईसाहब, प्रधान पुत्र अमित कुमार सतीश कुमार, केशरी सिंह, मनोज दुबे, प्रदीप कुमार, महेंद्र जायसवाल, धर्मराज तिवारी, विवेक कुमार जायसवाल, शैलेश पाठक, आयुष जायसवाल, राजन जायसवाल, सुभाष चन्द्र गुप्ता, सचिन सिंह, भरत लाल, कान्हा, किशन, शिवांश, शिवाय, कार्तिक, सावन, शुभ, श्रेयांश, श्याम सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।