प्रयागराज। प्रयागराज के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित चंद्र नारायण पांडेय गुड्डू महाराज ने बताया कि हिंदू धर्म में माघ महीने का विशेष महत्व है शास्त्रों, पुराणों में इस माह को पवित्र और मोक्ष दायक माना गया है मान्यता है कि माघ महीने में किये गए स्नान-दान, जप और तप अक्षय फल प्रदान करते हैं। माघ महीने में पवित्र नदियों विशेष कर गंगा नदी में स्नान और दान का विधान है। पुराणों में माघ में पूरे एक महीने संगम तट पर रह कर नियमित रूप से स्नान दान करने तथा संतों के सतसंग से पुण्य अर्जित करने का विधान है। इसे ही शास्त्रों में कल्पवास कहा गया है। प्रयागराज में संगम तट पर कल्पवास करने को मोक्षदायक कहा गया है। कल्पवास करने वाले व्यक्ति को एक निश्चित समयावधि या पूरे माघ माह संगम तट पर कुटिया बनाकर रहना होता है। इस काल में उन्हें अपने घर परिवार से विरक्त रहना होता है।कल्पवास के दौरान दिन में केवल एक समय ही भोजन किया जाता है। कल्पवास में केवल सात्विक भोजन ही करना चाहिए। भोजन अपने हाथ से बना कर ही करना चाहिए। कल्पवासियों को नियमित रूप से दिन में तीन बार गंगा में स्नान करने और पूजन करने का विधान है।कल्पवास के दौरान जमीन पर ही बिस्तर बिछा कर सोया जाता है। इस काल में मन और वचन और कर्म से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। कल्पवास के काल में व्यक्ति को अपनी बुरी आदतों और व्यसनों पर नियंत्रण रखना होता है। इस काल में धूम्रपान, मदिरा,तंबाकू आदि का भूलकर भी सेवन नहीं करना चाहिए। कल्पवास में झूठ और अपशब्द भी नहीं बोलना चाहिए।कल्पवास के समय में व्यक्ति को संकल्पित, संगम क्षेत्र से बाहर नहीं जाना चाहिए। इस काल में घर गृहस्थी की चिंता से मुक्त रहना चाहिए, अपना ध्यान सतसंग और भगवत भजन में लगाना चाहिए। कल्पवास के काल में अपनी कुटी में तुलसी जी का पौधा लगा कर, उसका नियमित रूप से पूजन करना चाहिए। कल्पवास के अंत में भगवान सत्यनारायण का पूजन करने का विधान है। पूजन के बाद यथाशक्ति दान दे कर कल्पवास पूरा करना चाहिए।