जंघई।गरियांव गांव में मुख्य यजमान शोभनाथ मिश्र के निवास पर चल रही संगीतमय श्रीराम कथा के सातवें दिन कथा वाचक रसराज मृदुल महाराज वृंदावन धाम ने भरत चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने भरत के मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के प्रति अटूट प्रेम और वात्सल्य भाव के कई प्रसंग सुनाकर लोगों को भावविभोर कर दिया। महाराज ने कहा कि भ्रातृत्व प्रेम किसी का है तो वह भरत का वर्तमान समय में भरत चरित्र की बहुत बड़ी प्राथमिकता है। स्वार्थ के कारण आज भाई-भाई जहां दुश्मन जैसा व्यवहार करते हैं, वहीं भरत चरित्र त्याग, संयम, धैर्य और ईश्वर प्रेम का दूसरा उदाहरण है भरत का विग्रह श्रीराम की प्रेम मूर्ति के समान है जिससे भाई के प्रति प्रेम की शिक्षा मिलती है। मनुष्य जीवन में भाई व ईश्वर के प्रति प्रेम नहीं है, तो वह जीवन पशु के समान है सभी को भरत और श्रीराम से भाई व ईश्वर प्रेम की सीख लेनी चाहिए।उन्होंने कहा कि भरत ने राजतिलक का परित्याग कर भातृ प्रेम की अनूठी मिसाल पेश कर समाज को जो संदेश दिया, वह आज लोग भूलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि रामायण हमें जीवन जीने की कला सिखाती है और हमें लोभ लालच न कर प्रेम बनाए रखने की प्रेरणा देती है। रामायण में भरत ही एक ऐसा पात्र है, जिसमें स्वार्थ व परमार्थ दोनों को समान दर्जा दिया गया इसलिए भरत का चरित्र अनुकरणीय है। भरत चरित्र का प्रत्येक प्रसंग धर्म सार है क्योंकि भरत का सिद्धांत लक्ष्य की प्राप्ति व राम के प्रेम को दर्शाता है।कथा आयोजक भरत मिश्र एवं परिजनों ने आए हुए अतिथियों का स्वागत अभिनंदन आरती प्रसाद वितरण करवाया।इस अवसर पर जटाशंकर मिश्र, रमेश कुमार मिश्र, दिनेश कुमार मिश्र, अशोक कुमार मिश्र, आशीष मिश्र, उत्तम मिश्र, अंकित, आलोक, मध्यम, श्लोक, उत्सव, शुभम, कुशल, आयुष, कृष्णा, यश, समीक्षा, स्वीटी, मुक्ता, सनाया, रिद्धि, सिद्धी मिश्र सहित तमाम भक्तगण मौजूद रहे।