जंघई।श्रीमद्भागवत कथा महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह महरछा बारी में मुख्य यजमान विजयनाथ पांडेय, अविनाश चंद्र पांडेय, अखिलेश चंद्र पांडेय के निवास पर कथा व्यास नित्यानंद शुक्ल महाराज ने आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन उधव चरित्र, महा रासलीला, कंसवध व रुक्मिणी विवाह का वर्णन किया। महाराज ने कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया। इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया। सभी गोपियां सज-धजकर नियत समय पर यमुना तट पर पहुंच गईं कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर सभी गोपियां अपनी सुध-बुध खोकर कृष्ण के पास पहुंच गईं। उन सभी गोपियों के मन में कृष्ण के नजदीक जाने, उनसे प्रेम करने का भाव तो जागा, लेकिन यह पूरी तरह वासना रहित था। इसके बाद भगवान ने रास आरंभ किया। माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई थी, जितनी गोपियां उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य व प्रेमानंद शुरू हुआ। रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुऐ कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया। श्रीकृष्ण व रुक्मिणी विवाह की झांकी प्रस्तुत कर विवाह संस्कार की रस्मों को पूरा किया गया। कथा के साथ-साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किया गया कथा के पश्चात आरती प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर पुरोहित मौला पाठक, आचार्य कमल नयन शुक्ल, आचार्य मनमोहन पांडेय, कैलाश नाथ पांडेय, हरिशंकर दुबे, हरिओम पांडेय, विक्की शुक्ला, कलेक्टर शुक्ला, आलोक सिंह, सौरभ पांडेय, रमेश चंद्र तिवारी, राम अभिलाष पांडेय, बाबुल नाथ शुक्ला, कृष्ण मोहन शुक्ल, रिंकू शुक्ला, कृष्णराज शुक्ल, राकेश पांडेय, बाबा तिवारी सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।