कुंडा। सरकार द्वारा दी गई ऋण माफी योजना का लाभ नही मिला तो किसान के यहां बैंक कर्मी नोटिस लेकर चले गए। बकायेदारों में अपना नाम जानकर चिंताग्रस्त किसान को हार्ट अटैक आ गया। परिजन इलाज के लिए एसआरन ले गए। जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।

महेशगंज थाना क्षेत्र के भैसाना गांव निवासी भैयाराम मौर्य( 62 वर्ष) पुत्र स्व. देवतादीन ने एसबीआई राजापुर से पच्चीस हजार का ऋण केसीसी पर लिया था। उनको उम्मीद थी कि सरकार द्वारा चलाई गई ऋण माफी योजना में उनका ऋण माफ हो जाएगा। इस बाबत उन्होंने दिसम्बर 2017 में जिला कृषि अधिकारी के यहां पत्र लिखकर योजना में नाम डलवाकर अपने ऋण माफी के लिए गुहार भी लगाई थी। लेकिन उनका ऋण माफ नही हुआ और न ही इस बाबत उनको कोई जानकारी बैंक या अन्य विभाग द्वारा दी गई। करीब एक सप्ताह पहले उनके घर पर बैंक कर्मी गए और भइयाराम की अनुपस्थिति में उनकी पत्नी कमला देवी से बकाया जमा करने के लिए उनको बैंक आने को कहा। कमला देवी का कहना है कि जब से बकाए की जानकारी भइया राम को हुई। तब से वे चिंता ग्रस्त रहने लगे और बकाया जमा करने को सोचने लगे। इसी बीच बुधवार को सुबह उनकी तबियत अचानक खराब हो गई। परिजनों ने समझा कि उनको ठंड लग गई और उनको इलाज के लिए सीएचसी महेशगंज लेकर भागे। जहां चिकित्सकों ने बताया कि उनको हार्ट अटैक आया है और उनको तुंरत कुंडा रेफर कर दिया। हालत नाजुक होने पर उनको एसआरएन रेफर कर दिया। बुधवार की शाम ही उनका इलाज के दौरान प्रयागराज में ही मौत हो गई। उनकी पत्नी कमला देवी का कहना है कि इससे पहले उनको कभी ऐसा नही हुआ था और न ही वो बीमार रहतें थें। इलाज के लिए ले जाते समय भी वो बार बार कह रहें थें कि यदि मुझें पता होता कि मेरा कर्ज माफ नही हुआ है तो मैं धीरे-धीरे सारा बकाया जमा कर देता। भइया राम की असमय मौत से परिजनों में कोहराम मचा हुआ है।
इस संबंध में एसडीएम कुंडा जल रंजन चौधरी का कहना है कि इस तरह के हादसे में कोई आर्थिक मदद करने का प्रावधान नही है। कर्ज क्यों माफ नही हुआ.? इसको बैंक वाले ही बता सकतें हैं।

जीविकोपार्जन का खेती ही है सहारा, बड़े पुत्र की हो चुकी है मौत

कुंडा। भइया राम के जीविकोपार्जन के लिए महज खेती ही सहारा थी। उनके दो पुत्र थें। बड़े पुत्र कमलेन्द्र मौर्य की मौत दो साल पहले ही सड़क दुर्घटना में हो चुकी है। उनका छोटा पुत्र अमित मौर्य अपनी पत्नी अनिता और दो बच्चों के साथ कानपुर में ऑटो चलाकर किसी तरह जीविकोपार्जन करता है। गांव में भइया राम ही अपनी पत्नी कमला, बड़ी बहु सुनीता और उसके तीन बच्चों शुभम, शिवम और खुशी के साथ रहतें थें। भइया राम की मौत के बाद से पहले ही पति के साए वंचित हो चुकी सुनीता और उनके बच्चे अब बाबा की मौत के बाद से एकदम अनाथ हो गए।