*सरल केयर फाउंडेशन* द्वारा आयोजित आज की मुहिम मैं और मेरी घड़ी* सोच आपके साथ भी शेयर करूं लखनऊ आज जब बात चल निकली है कि मैं और मेरी घड़ी तो बहुत पुरानी यादें ताजा हो गई ... आपके साथ साझा करती हूं मुझे याद है मुझे मेरी पहली घड़ी जब मैं क्लास थर्ड में पढ़ती थी तब पापा ने दीपावली मे ला कर दी पिंक कलर की प्यारी सी घड़ी जिसमें बहुत सी लाइट जला करती थी और इस घड़ी की वजह से अपनी बाल मंडली में काफी खास हो गई थी....... जो मेरे दोस्त नहीं थे वह भी उस घड़ी की वजह से मुझसे दोस्ती करना चाहते हैं.....फिर जीवन में तब से लेकर ना जाने कितनी घड़ियां आई और गई.... पर इतनी खास कोई ना हो सकी. आज जब घड़ियों का जिक्र चल ही निकला है तो जीवन में समय की अहमियत की टिक टिकआहट के साथ एक घड़ी और याद आ रही है मेरी कक्षा 9 की शिक्षिका आनंदप्रभा सिंह जो बहुत ही सिंपल तरीके से हमेशा कॉटन की साड़ी पहनना पतला सा ब्रेसलेट एक हाथ से तथा दूसरे हाथ में साड़ी से अमूमन मैच करती हुई घड़ियां पहनती थी..... हर साल तक हम यही नहीं जान पाए कि वह शादीशुदा है या कुंवारी.......... मैं या मेरे जैसे बहुत से विद्यार्थी टकटकी लगाकर उनके साधारण से पहनावे के बावजूद एक अप्रतिम आभा को अपलक निहारते रहते........... कई बार उन्हें बच्चों को टोकना पड़ता .... तुम्हारा ध्यान किधर है अब उन्हें कौन बताए कि हमारा ध्यान उन्हीं के ऊपर.... वह कैसे बोलती हैं वह कैसे चलती हैं वह कैसी उठती और बैठती हैं इसी में लगा रहता ....हम सब उनके कक्षा में प्रवेश करते ही इस बात पर ध्यान देते कि उन्होंने आज किस रंग की घड़ी पहनी है.......... क्योंकि फिजिक्स और मैथ उनका विषय था जो इतनी आसान तरीके से पढ़ा देती कि हम सब उनके मुरीद थे .साधारण अप्रतिम सुंदरता की इस मूर्ति को हम सब अपना आदर्श मानते थे ...एक दिन उन्होंने कक्षा में पूछा तुम सब बड़े होकर क्या बनना चाहते हो......????? चूंकि उदय प्रताप कॉलेज बनारस का एक प्रतिष्ठित कॉलेज था इसी के अंदर रानी मुरार बालिका इंटर कॉलेज था जिसमें यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में मेरिट लिस्ट में कई विद्यार्थी अपना स्थान हासिल करते थे इसलिए यह अपेक्षा तो लाजमी थी कि बच्चे बड़े हो कर कुछ ना कुछ तो बनेंगे ही................. उन्हीं के बीच मैं एक साधारण सी विद्यार्थी वाकई मुझे नहीं पता था कि मैं कभी हाईस्कूल पास भी कर पाऊंगी कुछ बनना तो बहुत दूर की बात है................ किसी ने बताया कि वह डॉक्टर बनेगा, तो किसी ने कहा इंजीनियर कोई प्रोफेसर तो कोई लेक्चरर सबकी अपनी अपनी ख्वाहिशें .....लेकिन अच्छी बात यह थी कि मेरा नंबर आते-आते पीरियड खत्म हो गया...... अतः मैम ने कहा चलो अच्छा है आप सब कुछ ना कुछ बनना चाहते हैं मन लगाकर पढ़ो.............. आनंद प्रभा मैम ने कहा कि *मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगी कुछ बनो या ना बनो पर शिक्षिका जरूर बन जाना ताकि अगर कभी नई साड़ी पहनने का मन हो तो अपने पति से वह पैसे ना मांगने पड़े..* इतने स्वाबलंबन की अपेक्षा मैं सभी बच्चों से करती हूं............. वाकई मेरे लिए समय वहीं ठहर गया मैं सोच रही थी कितना कठिन काम उन्होंने बता दिया, कुछ भी हो जाए कक्षा की बहुत सी छात्राएं शिक्षिका ही बन जाएंगी.... पर मैं कभी नहीं बन पाऊंगी क्योंकि मै शायद हाई स्कूल भी पास ना कर पाऊं.............................. घड़ी की टिक टिक अनवरत चलती रही और उनकी वह कही हुई बात किसी के जीवन में सार्थक हुई कि नहीं मुझे नहीं पता परंतु मेरे साथ जरूर सार्थक हुई.................. जब मैं हाई स्कूल में पहुंची तो मेरी मित्र रश्मि सिंह ने मुझे एक काले रंग की टाइटन की घड़ी जन्मदिन पर गिफ्ट की..... वाकई वह घड़ी मेरे लिए बहुत लकी थी जिस हाई स्कूल के नाम से मुझे फोबिया था उसमें मुझे प्रथम स्थान प्राप्त हुआ .......और लगभग बीएससी करने तक मेरे पास वही घड़ी हमेशा परीक्षा में मेरा साथ देती थी........... एमए बीएड करते करते शायद रंगों का क्रेज मुझे भी लग गया और कई रंगों के घड़ियां मेरे पास रहने लगी जिनकी गिनती और अहमियत अब मेरे पास नहीं वह सिर्फ फैशन के सिंबल है........ शायद मैं भी अपनी रंग बिरंगी साड़ियों की मैचिंग करती हुई घड़ियां पहनना पसंद करने लगी........ जीवन रूपी समय के सफर में घड़ियों का सफर और यादगार बहुत ही सुनहरी रही ...... और भी कई यादें जिन्हें लिखूं तो वृत्तांत लंबा हो जाएगा वाकई *मैं और मेरी घड़ी* का सफर टिक टिक करते हुए आज भी कोरोना महामारी की विषम परिस्थितियों में अनिश्चितताओं के बीच चल रहा है समय के सूचक से यही आशा है कि वह हमें आने वाला समय स्थिर ,सुनहरा और सभी के लिए स्वास्थ्यवर्धक प्रदान करें .. सभी योद्धा इस महामारी से विजय पाएं...... घड़ी की टिक टिकआहट के साथ के साथ........ ... समय से सही रास्ता दिखाने वाले दोस्त, गुरु , और मार्गदर्शक को बहुत-बहुत धन्यवाद जो मुझे मेरी मंजिल तक पहुंचा ही देता है...................... एक छोटा सा संस्मरण... सरल केयर फाउंडेशन बहुत-बहुत बधाई का पात्र है रीना त्रिपाठी महामंत्री भारतीय नागरिक परिषद