जातिवादी वोट बैंक के बजाय प्रत्येक निर्धन,बेसहारा व बेरोजगार का कल्याण आवश्यक ---73 वर्षों में निःशुल्क व एक समान शिक्षा,चिकित्सा,सुरक्षा न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण। ---जनता स्थानीय तो वीआईपी को स्पेशल इलाज क्यों? प्रयागराज, 9 सितम्बर 2020। आजादी के 73 वर्षों के बाद भी देश में निःशुल्क एक समान शिक्षा,चिकित्सा व सुरक्षा न होना जबकि गरीबों को राम भरोसे छोड़कर वीआईपी को स्पेशल सुविधा देना निहायत ही चिंताजनक है। जानकारी के अनुसार मीडिया से वार्ता में पीडब्ल्यूएस परिवार के संस्थापक आर के पाण्डेय एडवोकेट ने उपरोक्त बातें कहीं। उनके अनुसार सरकार, राजनैतिक दल व सामाजिक संस्थाओं को प्रत्येक भारतीय के कल्याण व समानता के मौलिक अधिकार हेतु कार्य करना चाहिए। यह दुखद है कि वीआईपी मंत्री, जनप्रतिनिधि, व्यापारी, अधिकारी, जज आदि के बच्चे महंगे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ते है, उनके इलाज मेदांता जैसे अस्पताल में होता है व उनकी सुरक्षा पर अंधाधुंध धन व्यय होता है जबकि आम गरीब जनता के बच्चे प्राइमरी स्कूल में पढ़ते हैं, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर की सलाह से बाजार से दवा लेनी पड़ती है व सुरक्षा की कोई व्यवस्था ही नही है। वरिष्ठ समाजसेवी अधिवक्ता आर के पाण्डेय के अनुसार आज जातिवादी वोट बैंक के बजाय प्रत्येक निर्धन,बेसहारा, बेरोजगार के कल्याण व समानता के मौलिक अधिकार हेतु कार्य करने के साथ प्रत्येक भारतीय को निःशुल्क एक समान शिक्षा, चिकित्सा व सुरक्षा की व्यवस्था जरूरी है तथा स्थानीय जनता के बजाय वीआईपी का स्पेशल इलाज बन्द होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार व राज्य सरकारों पर एक बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण प्रश्नचिन्ह है कि आखिर वे 73 वर्षों की आजादी के बावजूद प्रत्येक भारतीय हेतु निःशुल्क एक समान शिक्षा, चिकित्सा व सुरक्षा की व्यवस्था क्यों नहीं कर सकीं?