जंघई।ब्रह्म और जीव का एकाकार हो जाना ही रास लीला है।जंघई के नेंदुला गांव मे यजमान घनश्याम पाठक के आवास पर चल रहे भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में महाराष्ट्र से पधारे हुए मानस महारथी पं निर्मल कुमार शुक्ल ने विशाल श्रोता समूह को रास लीला और रुक्मिणी स्वयंवर की कथा सुना कर मंत्र मुग्ध कर दिया। कहा कि रसो वै सः वेदों मे ब्रह्म को रस स्वरूप ही कहा गया है। जहां चारों ओर भक्ति रस का प्रवाह उमड रहा हो वही रास है।गोपियां भक्ति स्वरूपा हैं ।गो माने इंद्रिय जिसकी समस्त इन्द्रियां कृष्ण का रस पान कर रही हों वही गोपी है़। जिसके नेत्र मात्र कृष्ण को देखना चाहें हांथ मात्र कृष्ण की सेवा करना चाहें मन मात्र कृष्ण का चिंतन करना चाहे कान कृष्ण की कथा सुनना चाहें और चरण, मात्र कृष्ण  की ओर जाना चाहें वही गोपी है। भगवान ने सर्व प्रथम अपनी बांसुरी के मधुर निनाद से गोपियों के मन का हरण कर लिया फिर ब्रह्म संबंध हुआ। रुक्मिणी स्वयंवर की मंगल मय झांकी देख कर श्रीता मंत्र मुग्ध हो गये। पं घनश्याम पाठक ने आचार्य पूजन किया पं मनोज पाठक, पंकज पाठक, राधेश्याम पाठक, विजय शंकर पाठक, रवि शंकर पाठक, आदर्श पाठक, सोनू पाठक, आभिषेक और ऋषभ पाठक तथा समस्त पाठक परिवार ने समस्त श्रोताओं  का स्वागत किया।इस अवसर पर

पं घनश्याम उपाध्याय राम अछैबर पाठक देवेंद्र दुबे प्रधान, शशिभूषण त्रिपाठी, कैलाश नाथ तिवारी, कुशलेश दुबे, राहुल दुबे, बच्चा पांडेय आदि क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्ति कथा रस का आनंद ले रहे हैं।यजमान और पाठक परिवार ने सभी धर्म प्रेमी सज्जनों से अधिकाधिक संख्या में कथामृत पान करने का आग्रह किया है।