सुदामा चरित्र, परिक्षित मोक्ष कथा के साथ नेवादा बरौना की भागवत कथा संपन्न

जंघई।श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन कथा का रसपान पाने के लिए भक्तों का सैलाब नेवादा बरौना पतवां कथा स्थल पर उमड़ पड़ा।कथावाचक विनोद कुमार शुक्ल महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा का समापन करते हुए कई कथाओं का भक्तों को श्रवण करवाया, जिसमें प्रभु कृष्ण के 16108 शादियों के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथाएं सुनाई। 

उन्होंने बताया सुदामा जी के पास कृष्ण नाम का धन था। संसार की दृष्टि में गरीब तो थे, लेकिन दरिद्र नहीं थे। अपने जीवन में किसी से कुछ मांगा नहीं। पत्नी सुशीला के बार-बार कहने पर सुदामा अपने मित्र कृष्ण से मिलने गए। भगवान के पास जाकर भी कुछ नहीं मांगा। भगवान अपने स्तर से सब कुछ दे देते हैं। 

सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। इसके उपरांत दत्तात्रेय जी के चौबीस गुरुओं के बारे में बताया।

इस अवसर पर इंजीनियर घनश्याम पांडेय, दिनेश पांडेय पूर्व आईएएस, सभाजीत पांडेय पूर्व डीपीआरओ, कुल गुरु पवन मिश्रा, लल्ले पंडित, रामअजोर मिश्रा, गया प्रसाद मिश्र, सुभाष चंद्र मिश्र, हरिशचंद्र मिश्र, जटाशंकर मिश्र, रामचंद्र मिश्र, पिंटू मिश्रा प्रधान, अशोक मिश्र, महेंद्र पांडेय, कपिल मिश्र, सुरेश मिश्र, शिवाकांत मिश्रा, बद्री विशाल मिश्रा, अनुज मिश्रा, शिवराम मिश्रा, धीरज मिश्रा, हरिशंकर दुबे, अरविंद दुबे , डॉ एसके तिवारी, अवधेश मिश्रा, दिनेश मिश्रा, मंगला उपाध्याय, अच्छे लाल पांडेय, आनंद पांडेय, हरिशचंद्र शुक्ला, दिलीप कुमार दुबे, योगेश पांडेय, समाजसेवी बाबा तिवारी सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।