जंघई। विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी नवरात्रि में ग्राम देवी चौरा माता मंदिर बभनियांव को भव्य रूप से सजाया गया है फूलों एवं रंग-बिरंगे झालरों से मंदिर को भक्तों द्वारा सजाया गया है सुबह शाम भक्तों द्वारा पूजन-अर्चन आरती किया जा रहा है मंदिर प्रांगण में देवी महात्म्य कथा का आयोजन किया गया है। कथा व्यास अशोकानंद महाराज द्वारा देवी महात्म्य पर वर्णन करते हुए बताया गया कि देवीमहात्म्य का अर्थ देवी की महानता का बखान, यह हिन्दुओं का एक धार्मिक ग्रन्थ है जिसमें देवी दुर्गा द्वारामहिषासुर नामक राक्षस के ऊपर विजय का वर्णन है यह मार्कण्डेय पुराण का अंश है। इसमें सात सौ श्लोक होने के कारण इसे 'दुर्गा सप्तशती' भी कहते हैं इसमें सृष्टि की प्रतीकात्मक व्याख्या की गई है जगत की सम्पूर्ण शक्तियों के दो रूप माने गये है संचित और क्रियात्मक नवरात्रि के दिनों में इसका पाठ किया जाता है। जिससे भक्तों के जीवन में नई उर्जा का संचार होता है परिवार में सुख-शांति धन वैभव की वृद्धि होती है। ताड़पत्र पर भुजिमोल लिपि में लिखी देवी माहात्म्य की सबसे प्राचीन पाण्डुलिपि इस रचना का विशेष संदेश है कि विकास-विरोधी दुष्ट अतिवादी शक्तियों को सारे सभ्य लोगों की सम्मिलित शक्ति सर्वदेवशरीजम ही परास्त कर सकती है, जो राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है इस प्रकार आर्यशक्ति अजेय है इसका भेदन दुष्कर है इसलिए यह 'दुर्गा' हैं। यह अतिवादियों के ऊपर संतुलन-शक्ति सभ्यता के विकास की सही पहचान है। इस अवसर देवी मां के भक्तों में आशाराम शुक्ल, शशि प्रकाश शुक्ल, विनोद शुक्ल, राकेश शुक्ल, सूर्य प्रकाश शुक्ल, हवलदार शुक्ल, नरेंद्र शुक्ल, सुशील शुक्ल, प्रशांत शुक्ल, राजेश शुक्ल, हरिशंकर तिवारी, संजय शुक्ल, विमल शुक्ल, अतुल शुक्ल, अरविंद शुक्ल, कलेक्टर शुक्ल, सोनू शुक्ल धर्मेश, आशीष शुक्ल, बबलू तिवारी, कान्हा, आशीष अभी आदि लोग मौजूद रहे।