प्रतापपुर।विगत वर्षों की भांति इस वर्ष ऊं सांई नाथ रामलीला मंडल विश्वंभरपुर, मिर्जापुर उग्रसेनपुर के तत्वावधान में रामचरित मानस पाठ पर आधारित मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र जी की अनंत रामलीलाओं का जीवंत प्रस्तुति करण मुकुट पूजन से प्रारंभ हुआ। शनिवार रात्रि में रामजन्म, ताड़का बध, फुलवारी एवं धनुष यज्ञ का आयोजन किया गया। सीता स्वयंवर में गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से श्रीराम व लक्ष्मण राजा जनक के दरबार में रखे शिव धनुष के पास पहुंचे, श्रीराम ने धनुष को प्रणाम किया और उसे अपने हाथों में उठा लिया और शिवधनुष तीन खंडों में विभक्त हो गया। शिव धनुष टूटने की आवाज सुनकर ऋषि परशुराम क्रोध धारण करके सीता स्वयंवर सभा में प्रवेश करते हैं, सभा का आयोजन देख उसका कारण पूछते हैं फिर जनक द्वारा कारण स्पष्ट करने पर भगवान परशुराम का ध्यान शिव धनुष की तरफ जाता है फिर वो क्रोध में पूंछते हैं कि इस धनुष को तोड़ने का साहस किसने किया, लेकिन मुनि के क्रोध के आगे किसी को कुछ बोलने का साहस नहीं हुआ फिर मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम जी विन्रम भावना से कहते हैं हे नाथ शिव जी के धनुष को तोड़ने वाला उनका कोई प्रिय दास ही होगा क्या आज्ञा है मुझसे कहिए फिर, परशुराम और लक्ष्मण का संवाद होता है और अंत में परशुराम द्वारा नारायण अवतार का ज्ञात होता है फिर वे क्रोध को त्याग देते हैं। अंततः परशुराम भी श्रीराम की विनम्रता से प्रभावित होकर आशीर्वाद देकर चले गए भगवान श्रीराम के गले में सीता माता ने वरमाला डाली यह देखकर दर्शक भाव-विभोर होकर जय श्री राम का जयकारा लगाया। इस अवसर पर रामलीला समिति के धर्मेद्र शर्मा, अंकुश उपाध्याय, पुष्पेंद्र सिंह, अरविंद शर्मा, हौंसिला तिवारी, विनय मिश्रा, अतुल शर्मा, ऋषिराज, अमन, सचिन, उत्कर्ष, हरिओम, ओम प्रकाश बिंद, विजय मिश्रा, नितेश मौर्या सहित तमाम लोग मौजूद रहे