जंघई। कुढ़वां मिश्रान में गायत्री प्रसाद मिश्र के यहां चल रहे भागवत ज्ञान महायज्ञ के तीसरे दिन पीठासीन जगतगुरु स्वामी श्रीधराचार्य जी महाराज जी ने उपस्थित भक्तों को चतुर्विध पुरुषार्थ धर्म अर्थ काम मोक्ष प्राप्त करने का मात्र साधन भागवत ही है सप्तम स्कंध में प्रहलाद के पिता हिरण्यकशिपु धर्म -अर्थ -काम -मोक्ष को तीव्र गति से नष्ट करने लगा इनके संस्थापक परमात्मा को चिंता हुई उसने मोक्ष साधक संत प्रहलाद को जन्म देकर के उसका विरोध कराया उसे धर्म- अर्थ काम -मोक्ष की स्थापना के लिए प्रहलाद के पिता हिरण्यकशिपु के द्वारा पुरुषार्थ चतुष्टय का विरोध अनुचित मानकर समग्र देवताओं के आग्रह करने पर द्विज - भोजन- मख-हवन-श्राद्ध इन कर्मों का विरोध करने वाले हिरण्यकशिपु का नरसिंह रूप में प्रकट होकर के प्रहलाद भक्त की रक्षा करते हुए हिरण्यकशिपु का वध किया एवं पुरुषार्थ चतुष्टय की स्थापना भी किया ।