जंघई। देवबरा धाम, पिपरी में मुख्य यजमान डॉ रविंद्र नाथ पांडेय एवं प्रेमा पांडेय द्वारा आयोजित संगीतमयी श्रीमद्भागवत महापुराण कथा सप्ताह में प्रथम दिवस कलश शोभायात्रा निकाली गई। कलश स्थापना वेदी पूजन के पश्चात कथा महात्म्य, नारद भक्ति संवाद, गोकर्ण उपाख्यान प्रसंग का वर्णन कथा वाचक राघवेंद्राचार्य महाराज ने किया। दूसरे दिन सोमवार को मंगल चरण, अव्यवस्थामा चरित्र, भीम उपाख्यान, श्री शुकदेव आगमन की कथा श्रवण कराया। महाराज ने कहा कि भगवान सदैव ही अपने भक्तों के भक्ति भाव में बंधे होते हैं और वे भक्तों की पुकार को कभी भी अनसुना नहीं करते हैं। इस कलयुगरूपी भवसागर से पार पाने का एकमात्र उपाय प्रभु का नाम सुमिरन करना ही है। प्रभु नाम सुमिरन करने पर ही भवसागर से पार पाया जा सकता है। महाराज ने राजा परीक्षित जन्म, एवं उनके चरित्र वर्णन की शुकदेव भगवान का आगमन, सृष्टि उत्पत्ति व शिव पार्वती विवाह की कथा सुनाई। कहा कि, कलयुग के प्रभाव से राजा परीक्षित ने ऋषि श्रृंगी के गले में मरा हुआ सर्प डाल दिया था और ऋषि ने उन्हें श्राप दिया कि ठीक सातवें दिन सर्प के काटने से उनकी मृत्यु हो जाएगी। उसी श्राप के निवारण के लिए वेद व्यास द्वारा रचित भागवत कथा शुकदेव द्वारा सुनाई गई। जिसमें उनका उत्थान हो गया। राजा परीक्षित ने सात दिन भागवत सुनकर किस तरह अपना उद्धार कर लिया। उसी तरह प्रत्येक व्यक्ति को भागवत का महत्व समझना चाहिए भागवत अमृत रूपी कलश है जिसका रसपान करके आदमी अपने जीवन को कृतार्थ कर लेता है। कथा के पश्चात आरती प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर डॉ मनोज कुमार पांडेय, डॉ अनुज कुमार पांडेय, विदित पांडेय, वेदांश पांडेय, धान्वी पांडेय,  विजयमणि पांडेय, राधेमोहन पांडेय, विकास पांडेय, सभाजीत उपाध्याय , लल्लन पांडेय, जोखन उपाध्याय, कमलेश पांडेय, महेंद्र उपाध्याय, देवेंद्र उपाध्याय, अशोक उपाध्याय, लालमणि पांडेय, विवेकानंद उपाध्याय, आदित्यनाथ पांडेय, सुरेंद्र उपाध्याय रामशिरोमणि उपाध्याय एवं आचार्य रविराज महाराज, तबलावादक पंडित शैलेश पंडित, आर्गन पर संदीप सुहाना, पैड पर अजय सुहाना, बिंजों पर छोटू एवं मनीष शास्त्री ने संगीतमययी प्रस्तुति दिया।