प्रयागराज। गंगोली शिवाला मार्ग, पुल नंबर 4 निकट अन्नपूर्णा चौराहा पर स्थित गंगा कल्पवास आश्रम के संस्थापक स्वर्गीय गंगा प्रसाद पांडेय के पुत्र तीर्थ पुरोहित चंद्र नारायण पांडेय गुड्डू शास्त्री महाराज एवं उदय नारायण पांडेय महाराज के कल्पवास आश्रम में घुघुटी गांव निवासी कथा यजमान शिवमणि शुक्ला, जगधात्री शुक्ला द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में समापन दिवस पर गुरुवार को कथा व्यास श्रीकृष्णाचार्य जी महाराज अयोध्या धाम द्वारा सुदामा चरित्र का वर्णन किए जाने पर पंडाल में उपस्थित श्रोता भाव-विभोर हो गए। 

कथा व्यास ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है। उन्होंने कहा कि  सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर मित्र श्री कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी जाते हैं जब वह महल के गेट पर पहुंच जाते हैं, तब प्रहरियों से कृष्ण को अपना मित्र बताते है और अंदर जाने की बात कहते हैं। 

सुदामा की यह बात सुनकर प्रहरी उपहास उड़ाते है और कहते है कि भगवान श्रीकृष्ण का मित्र एक दरिद्र व्यक्ति कैसे हो सकता है। प्रहरियों की बात सुनकर सुदामा अपने मित्र से बिना मिले ही लौटने लगते हैं। तभी एक प्रहरी महल के अंदर जाकर भगवान श्रीकृष्ण को बताता है कि महल के द्वार पर एक सुदामा नाम का दरिद्र व्यक्ति खड़ा है और अपने आप को आपका मित्र बता रहा है। द्वारपाल की बात सुनकर भगवान कृष्ण नंगे पांव ही दौड़े चले आते हैं और अपने मित्र को रोककर सुदामा को रोककर गले लगा लिया। सुदामा चरित्र के माध्यम से श्रोताओं को श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की मिसाल पेश की समाज को समानता का संदेश दिया। 

महाराज ने बताया कि सुखदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्रीमद्भागवत कथा का पूर्णता प्रदान करते हुए विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। उन्होंने सात दिन की कथा का सारांश बताते हुए कहा कि जीवन कई  सुनाई गई श्रीमद्भागवत कथा का पूर्णता प्रदान करते हुए विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। उन्होंने सात दिन की कथा का सारांश बताते हुए कहा कि जीवन कई योनियों के बाद मिलता है और इसे कैसे जीना चाहिए के बारे में भी उपस्थित भक्तों को समझाया।अंत में कृष्ण के दिव्य लोक पहुंचने का वर्णन किया महाआरती के बाद भोग वितरण किया गया। कथा के पश्चात व्यवस्थापक शिवरक्षा शुक्ला, इंद्रमणि शुक्ला, राजमणि, चंद्रमणि, बटेश्वर शुक्ला, शरद, राहुल, दीपक, रोहित, चिराग, गौरव, देवांग, विनायक द्वारा आये हुए कल्पवासियों एवं कथा श्रोताओं का स्वागत करते हुए आरती प्रसाद वितरण करवाया गया जिसमें सैकड़ों कल्पवासी मौजूद रहे।