कथा सम्राट प्रेमचंद की कहानी 'घासवाली' का मंचन



प्रयागराज।साहित्य के शिखर पुरुष प्रेमचंद की कहानियां आज भी प्रासंगिक हैं दशकों पहले उन्होंने जिन मुद्दों पर कलम चलाई थी, उसकी अनुभूति आज की पीढ़ी कर रही है। और इसी अनुभूति को विज्ञान के जानकारों को राजभाषा अनुभाग के 'बरगद कलामंच' ने कराया। अवसर था विज्ञान संकाय में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार का और इसे आयोजित किया था जैव रसायन विभाग ने तथा प्रस्तुति दे रही थीं जगत तारन गर्ल्स डिग्री कॉलेज की छात्राएं। नॉवेल थेराप्यूटिक्स : रिलिवेन्स टू केंसर विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार के बाद 'घासवाली' कहानी का मंचन हुआ । सेमिनार में प्रो. सैयद इब्राहिम रिजवी (डीन- शोध एवं विकास, इविवि), प्रो. शेखर श्रीवास्तव ( डीन- विज्ञान संकाय), प्रो. गिरीश चंद्र शुक्ला, किलीवलेण्ड विश्वविद्यालय, यू एस ए, प्रो. बेचैन शर्मा ( विभागाध्यक्ष जैव रसायन विभाग) की उपस्थिति में द्वितीय सत्र में कहानी का मंचन हुआ।पति- पत्नी के लगाव और अटूट विश्वास को एक तरफ इस कहानी में दर्शाया गया वहीं गरीबी- अमीरी तथा समाज के भेदभाव को कहानी में दिखाया गया। मूल कहानी को रखते हुए रोचक तरीके से प्रस्तुति दी गई। महावीर की उलझन,चैनसिंह का रुतवा और फिर बदलाव सभी पत्रों ने बेहतरीन निभाया।कहानी में समाज के दो दृश्य अत्यंत महत्वपूर्ण दिखाई दिए जो मूल कहानी में समाज की सच्चाई को भी दिखाते हैं। एक दृश्य मजदूरों का है मजदूर आपस में चैन सिंह की बातें कर रहे हैं तथा उस समय खेतों के गिरवी रखना फिर बेटी का ब्याह करना आदि की बात अपनी छोटी सी प्रस्तुति में देते हैं। हंसी मजाक में कड़वी सच्चाई बताने का प्रयास किया जाता है। दूसरा दृश्य कचहरी का है वकील ठाकुर को कहते हैं- ये कोट कचहरी का मामला है.. इस वाक्य से सब पता चल जाता है कि वो क्या दिखाना चाहते हैं।बाजार के अन्य पात्र जैसे पान वाला, ग्राहक, बूढ़ा आदि अपनी भूमिका का सही से निर्वहन करते हैं। घोड़े का चरित्र निभाने वाली छात्रा भी अपने अच्छे अभिनय के लिए दर्शकों को पसंद आई। मुख्य भूमिका में 'मुलिया' को रुपाली मिश्रा ने बखूबी निभाया। जब - जब वो ठाकुर के सामने मंच पर होती हैं अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को उस समय की सैर करा देती हैं। सूत्रधार कहानी को बखूबी आगे ले कर चलता है। संगीत अच्छा दिया गया है। घासवाली कहानी का मंचन राजभाषा अनुभाग के बरगद कलामंच के द्वारा किया गया । जगत तारन गर्ल्स डिग्री कालेज की डॉ रतन कुमारी वर्मा जी के सहयोग था राजभाषा अनुभाग, इविवि के अनुवाद अधिकारी हरिओम कुमार के द्वारा इसे तैयार किया गया । डॉ धीरेन्द्र धवल, करन परिहार का सहयोग रहा।इस वर्ष से राजभाषा अनुभाग प्रो. संतोष भदौरिया के सानिध्य में 'बरगद कलामंच' के माध्यम से राजभाषा का प्रचार- प्रसार करेगा। 'घासवाली' कहानी 5 दिन में प्रस्तुति के लिए तैयार की गई। आज इसकी दूसरी प्रस्तुति थी। 'बरगद कलामंच' के तहत इसे तैयार किया गया। पात्रों में सूत्रधार के रूप में जागृति पांडेय, मुलिया के रूप में रुपाली मिश्रा, महाबीर शिवानी शुक्ला,चैनसिंह प्राची पांडेय, सास हर्षिता सिंह, पान वाला वर्षा शुक्ला,वकील काजल यादव और अवंतिका त्रिपाठी, मजदूर क्रमशः आकांक्षा बरनवाल, दीक्षा सिंह, दुर्गेश्वरी सिंह, प्रतिष्ठा तथा ग्राहक के रूप में साक्षी सिंह, प्रतिष्ठा रहीं।'बरगद कलामंच' की जगत तारन गर्ल्स डिग्री कालेज की इस प्रस्तुति के बाद विज्ञान के जानकारों को राजभाषा हिंदी के प्रचार- प्रयार के संबंध में अवगत कराया गया।