जंघई। देवबरा, पिपरी में मुख्य यजमान डॉ रविंद्र नाथ पांडेय, प्रेमा देवी पांडेय द्वारा आयोजित संगीतमयी श्रीमद्भागवत महापुराण कथा सप्ताह में छठवें दिन शुक्रवार को कथा वाचक राघवेंद्राचार्य महाराज ने संगीतमयी कथा को आगे बढ़ाते हुए उधव चरित्र, महारास लीला व रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट किया भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की मनोकामना को पूर्ण करने का वचन दिया अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया।श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह प्रसंग से कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि महाराज भीष्म अपनी पुत्री रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण से करना चाहते थे, परन्तु उनका पुत्र रुक्मणी राजी नहीं था वह रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था रुक्मिणी इसके लिए राजी नहीं थीं। विवाह की रस्म के अनुसार जब रुक्मिणी माता पूजन के लिए आईं तब श्रीकृष्णजी उन्हें अपने रथ में बिठा कर ले गए तत्पश्चात रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण के साथ हुआ ऐसी लीला भगवान के सिवाय दुनिया में कोई नहीं कर सकता। कथा व्यास ने बताया कि भागवत महापुराण में प्रत्येक पद से रस की वर्षा होती है इस शास्त्र को शुकदेव मुनि राजा परीक्षित को सुनाते हैं राजा परीक्षित इसे सुनकर मरते नहीं बल्कि अमर हो जाते हैं प्रभु की प्रत्येक लीला रास है। इस दौरान श्रीकृष्ण-रुक्मिणी की आकर्षक झांकी बनाई गई जिनके दर्शन करके भक्तजन भाव विभोर हो गए। इस अवसर पर परिजनों में डॉ मनोज कुमार पांडेय, डॉ अनुज कुमार पांडेय, विदित पांडेय, वेदांश पांडेय, धान्वी पांडेय एवं कथा श्रोताओं में श्रीनाथ पांडेय, विजयमणि पांडेय, सभाजीत उपाध्याय, लल्लन पांडेय, जोखन उपाध्याय, राधेमोहन पांडेय, विकास पांडेय, कमलेश पांडेय, महेंद्र उपाध्याय, देवेंद्र उपाध्याय, अशोक उपाध्याय, लालमणि पांडेय, विवेकानंद उपाध्याय, आदित्यनाथ पांडेय, सुरेंद्र उपाध्याय, राम शिरोमणि उपाध्याय एवं आचार्य रविराज महाराज, शैलेश पंडित, मनीष शास्त्री, संदीप सुहाना, अजय सुहाना, छोटू सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।