जंघई।श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान के सप्ताह के समापन दिवस पर बुधवार को मुख्य यजमान पंडित शिवाकांत शर्मा, नगीना शर्मा के निवास भूलेंद्र जंघई में श्रीकृष्ण भक्त व बाल सखा सुदामा के चरित्र का वर्णन किया गया। कथा वाचक भागवताचार्य सच्चिदानंद महाराज ने कथा के दौरान श्रीकृष्ण एवं सुदामा के मित्रता के बारे में बताया कि सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे और पानी परात को हाथ छुओ नही, नैनन के जल से पग धोये। योगेश्वर श्री कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा जी की आवभगत में इतने विभोर हो गए के द्वारका के नाथ हाथ जोड़कर और अंग लिपटाकर जल भरे नेत्रों से सुदामा जी का पैर धोकर हाल चाल पूछने लगे। महाराज ने बताया कि सुदामा चरित्र प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मित्रता में धन दौलत आड़े नहीं आती।उन्होंने कहा कि गृहस्थ जीवन में मनुष्य तनाव में जीता है जब कि संत सद्भाव में जीता है यदि संत नहीं बन सकते तो संतोषी बन जाओ संतोष सबसे बडा धन है। सुदामा की मित्रता भगवान के साथ निस्वार्थ थी उन्होंने कभी उनसे सुख साधन या आर्थिक लाभ प्राप्त करने की कामना नहीं की।लेकिन सुदामा की पत्नी की तरफ से पोटली में भेजे गए चावलों में भगवान श्री कृष्ण से सारी हकीकत कह दी और प्रभु ने बिन मांगे ही सुदामा को सब कुछ प्रदान कर दिया। जैसे ही कथा पंडाल में भगवान श्री कृष्ण एवं सुदामा के मिलन का सजीव चित्रण करती हुई झांकी प्रस्तुत की गयी तो पूरा पंडाल भाव विभोर हो गया और लोग भगवान श्री कृष्ण की जय- जयकार करने लगे।इस अवसर पर हृदय नारायण शर्मा, इंद्रेश शर्मा, अनिल, बृजेश, योगेश, सर्वेश, सुनील, प्रशांत, दिनेश, विवेक, आलोक, रत्नेश, अमित, दिव्यांश, प्रीतम, सिद्धांत, हर्ष, अभिषेक, रुद्रांश, राघवेंद्र, शौर्य एवं धैर्य शर्मा सहित तमाम लोग मौजूद रहे।