जंघई।जन कल्याण दुर्गा पूजा पंडाल, चौरा माता मंदिर, भोगीपुर, जंघई में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन मंगलवार को कथा वाचक अभिनवानंद शांडिल्य महाराज धाम काशी ने परीक्षित जन्म एवं श्राप, श्री शुकदव जी का आगमन, विदुर मैत्रेय संवाद, कपिल देवहुति संवाद, ध्रुव चरित्र प्रसंग पर विस्तार से व्याख्यान किया। उन्होंने कहा कि शुकदेव इस संसार में भागवत का ज्ञान देने के लिए ही प्रकट हुए हैं शुकदेव का जन्म विचित्र तरीके से हुआ कहते हैं कि वर्ष तक मां के गर्भ में शुकदेव जी रहे वहीं श्रीमद्भागवत कथा के प्रभाव से राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त हुआ था।दक्ष यज्ञ प्रसंग सुनाते हुए कहा कि यज्ञ का उद्देश्य पवित्र होना चाहिए। दक्ष कर्मयोगी था, कर्मठ था, किंतु कर्म का उद्देश्य उसने अपवित्र रखा, शिव के अपमान का लक्ष्य रखा, जिसका परिणाम यह हुआ कि उसका यज्ञ भंग हो गया और स्वयं का शिरो छेदन हुआ। कर्म का उद्देश्य यदि पवित्र है, तो वह कर्म यज्ञ कहलाता है। कथावाचक ने आगे कहा कि भक्ति में दृढ़ता का भाव होने पर ही भागवत साक्षात्कार संभव है कहा कि साधक को याद रखना चाहिए कि बिना निश्चय के नारायण नहीं मिलते। घ्रुव ने एक निश्चय किया था कि मुझे भगवान का साक्षात्कार करना है। वह निश्चय ही उन्हें लक्ष्य प्राप्ति में सफल बनाता है। कहा कि जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को दुर्लभ मानता है, वह कभी भी लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर सकता।इस अवसर पर कथा के मुख्य यजमान हुबनारायण तिवारी एवं श्रोताओं में अशोक कुमार तिवारी, रोहित ब्राह्मण, प्रवीण तिवारी, संदीप तिवारी राम जी, विशाल तिवारी, प्रदीप तिवारी, प्रत्युश तिवारी, प्रज्ज्वल तिवारी, राजेश तिवारी, विजय कुमार तिवारी, राकेश तिवारी, रंजीत तिवारी, सत्यम तिवारी, गोलू शर्मा, श्रीनाथ शर्मा, तूफानी गुप्ता, सूरज तिवारी, सिब्बू तिवारी सहित तमाम भक्तगण मौजूद रहे।