पूर्व सीएम मायावती ने रामचरितमानस विवाद को बताया सपा-भाजपा की मिली भगत, कहा- सपा का भी वही राजनीतिक रंग-रुप दुर्भाग्यपूर्ण


लखनऊ : उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस को लेकर सियासी माहौल लगातार गरमाया हुआ है। भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच चल रहे पलटवार के बीच पूर्व मुख्यमंत्री बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने टिप्पणी करके यूपी का सियासी पारा ऊपर चढ़ा दिया है।


पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सपा मुखिया अखिलेश यादव की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए इस पूरे मामले को भाजपा और सपा की मिलीभगत करार दिया है। उन्होंने कहा कि जाति और धर्म के आधार पर राजनीति करना भाजपा की पहचान है,लेकिन अब सपा भी उसी रास्ते पर है जोकि दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है।


"2.रामचरितमानस के विरुद्ध सपा नेता की टिप्पणी पर उठे विवाद व फिर उसे लेकर भाजपा की प्रतिक्रियाओं के बावजूद सपा नेतृत्व की चुप्पी से स्पष्ट है कि इसमें दोनों पार्टियों की मिलीभगत है ताकि आगामी चुनावों को जनता के ज्वलन्त मुद्दों के बजाए हिन्दू-मुस्लिम उन्माद पर पोलाराइज किया जा सके।" — Mayawati (@Mayawati) January 30, 2023


पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ट्विटर के जरिए टिप्पणी करते हुए कहा कि संकीर्ण राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ हेतु नए-नए विवाद खड़ा करके जातीय व धार्मिक द्वेष, उन्माद-उत्तेजना व नफरत फैलाना, बायकाट कल्चर, धर्मान्तरण को लेकर उग्रता आदि बीजेपी की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है,लेकिन रामचरितमानस की आड़ में सपा का वही राजनीतिक रंग-रूप दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण है।