जंघई।बभनियांव, भोज का पूरा गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के समापन दिवस पर बुधवार को कथा वाचक अशोकानंद शास्त्री महाराज ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष आदि प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया।महाराज ने कहा कि सुदामा जितेंद्रिय एवं भगवान कृष्ण के परम मित्र थे भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन पोषण करते गरीबी के बावजूद भी हमेशा भगवान के ध्यान में मग्न रहते। पत्नी सुशीला सुदामा जी से बार-बार आग्रह करती कि आपके मित्र तो द्वारकाधीश हैं उनसे जाकर मिलिए शायद वह हमारी मदद कर दें।सुदामा पत्नी के कहने पर द्वारका पहुंचते हैं और जब द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं कि सुदामा नाम का ब्राम्हण आया है कृष्ण यह सुनकर नंगे पैर दौङकर आते हैं और अपने मित्र को गले से लगा लेते। उनकी दीन दशा देखकर कृष्ण के आंखों से अश्रुओं की धारा प्रवाहित होने लगती है सिंघासन पर बैठाकर कृष्ण जी सुदामा के चरण धोते हैं सभी पटरानियां सुदामा जी से आशीर्वाद लेती हैं सुदामा जी विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना पाते हैं लेकिन सुदामा जी अपनी फूंस की बनी कुटिया में रहकर भगवान का सुमिरन करते हैं।अगले प्रसंग में शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई जिससे उनके मन से मृत्यु का भय निकल गया तक्षक नाग आता है और राजा परीक्षित को डस लेता है। राजा परीक्षित कथा श्रवण करने के कारण भगवान के परमधाम को पहुंचते है इसी के साथ कथा का विराम हो गया।इस अवसर पर राम मनोहर पांडेय, महेंद्र नाथ पांडेय, रमाशंकर पांडेय, कृष्णानंद पांडेय, कैलाश नाथ पांडेय, महंत चंद्रमा दास महाराज, हरिशंकर तिवारी, हरिशंकर दुबे, गुलाब चंद्र पांडेय, सूर्य प्रकाश शुक्ल, नन्हे मिश्रा, विक्की शुक्ल, अजय पांडेय, रोहित तिवारी, अनुज, अरुण, विनय, मनीष, संदीप, राज, रोहित, रत्नेश, चंचल, राहुल, विवेक, आलोक, उपेंद्र, सुषमा पांडेय, श्वेता पांडेय, सोनाली तिवारी, निधि पांडेय, दीक्षा पांडेय, संध्या पांडेय, शिवांश, आयांश, वेदांश सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।