जंघई।श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन श्रीमद्भागवत का रसपान पाने के लिए पांडेयपुर, भानीपुर गांव में भक्तों का सैलाब कथा स्थल पर उमड़ पड़ा।कथावाचक राघवेंद्राचार्य महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा का समापन करते हुए कई कथाओं का भक्तों को श्रवण करवाया, जिसमें प्रभु कृष्ण के 16108 शादियों के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथाएं सुनाई।उन्होंने बताया कि सुदामा जी के पास कृष्ण नाम का धन था संसार की दृष्टि में गरीब तो थे, लेकिन दरिद्र नहीं थे अपने जीवन में किसी से कुछ मांगा नहीं।पत्नी सुशीला के बार-बार कहने पर सुदामा अपने मित्र कृष्ण से मिलने गए भगवान के पास जाकर भी कुछ नहीं मांगा भगवान अपने स्तर से सब कुछ दे देते हैं। सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया।महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है, तो वहीं इसे करवाने वाले भी पुण्य के भागी होते है।इस अवसर पर मुख्य यजमान मुन्नी कैलाशनाथ पांडेय, कृष्णकुमारी श्रीनाथ पांडेय, गायत्री स्व. प्रेमशंकर पांडेय, कविता सौरभ पांडेय प्रधान भानीपुर, विजय कांत पांडेय, रमाकांत पांडेय, आलोक चंद्र पांडेय, चंद्रकांत पांडेय, कृष्णकांत पांडेय, श्रेयश, तेजस, सार्थक, आरव, दक्ष, ओमप्रकाश पांडेय, शिवदेव पांडेय, रामप्रकाश पांडेय, राजेंद्र प्रसाद पांडेय, जयप्रकाश पांडेय, जयनाथ पांडेय, रमेश पांडेय, मनीष पांडेय, आदर्श पांडेय, आयुष पांडेय, राकेश पांडेय, लक्ष्मीशंकर पाठक,  भोलानाथ तिवारी, प्रेम नारायण त्रिपाठी, सीताराम तिवारी प्रधान, हरिशंकर दुबे, अदालत पांडेय, राजेश मिश्रा, कपिल देव तिवारी, रमेश तिवारी, अनिल पांडेय, आलोक सिंह प्रधान, गौरव राजपूत, विकास शुक्ला, लकी सिंह, विश्वनाथ विश्वकर्मा, धनराज विश्वकर्मा, समाजसेवी बाबा तिवारी सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।