जंघई।जोगापुर, हरदुआं गांव में यजमान रमाशंकर पांडेय एवं हीरावती देवी के निवास पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास अशोकानंद महाराज जी ने कथा के छठवें दिन रविवार को भक्ति ज्ञान एवं वैराग्यरूपी श्रीमद्भागवत कथा से त्रिवेणी प्रवाहित करते हुए श्रीकृष्ण बाल लीला, श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह प्रसंग का वर्णन किया।महाराज ने उधव चरित्र, महारासलीला व रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की।भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया।इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया। सभी गोपियां सज-धजकर नियत समय पर यमुना तट पर पहुंच गईं कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर सभी गोपियां अपनी सुध-बुध खोकर कृष्ण के पास निधिवन वृंदावन पहुंच गईं जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई थी, जितनी गोपियां उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य व प्रेमानंद शुरू हुआ। रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुए कथा वाचिका ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया।आयोजकों की ओर से आकर्षक वेश-भूषा में श्रीकृष्ण व रुक्मिणी विवाह की झांकी प्रस्तुत कर विवाह संस्कार की रस्मों को पूरा किया गया।आरती प्रसाद वितरण करते हुए आयोजकों ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया।इस अवसर पर शिव शंकर पांडेय, विजय शंकर पांडेय, रमेश चंद्र पांडेय, राजेश पांडेय, बृजेश पांडेय, कमलेश पांडेय, राजकुमार, प्रदीप, विकास, शनी, शुभम, रौनक, हर्षित सहित तमाम लोग मौजूद रहे।