नयी दिल्ली, 26 अप्रैल । उच्चतम न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता सुश्री इन्दु मल्होत्रा की शीर्ष अदालत के न्यायाधीश पद पर नियुक्ति संबंधी वारंट पर रोक लगाने से आज इंकार करते हुये कहा कि इस तरह का अनुरोध ‘अकल्पनीय’ है और ऐसा कभी सुना नहीं गया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सुश्री इन्दु मल्होत्रा को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के पद की शपथ नहीं दिलाने संबंधी वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह के अनुरोध पर कड़ा रूख अपनाया। पीठ ने जयसिंह के इस अनुरोध पर भी नाराजगी व्यक्त की कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के एम जोसेफ को भी शीर्ष अदालत का न्यायाधीश नियुक्त करने का केन्द्र को निर्देश दिया जाये। पीठ ने सुश्री जयसिंह से सवाल किया, ‘‘ यह किस तरह का अनुरोध है।’’ पीठ ने कहा कि यह केन्द्र का अधिकार है कि वह पुन: विचार के लिये सिफारिश वापस भेजे। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मान लीजिये सरकार इसे पुन: विचार के लिये लौटा रही है, इस पर गौर किया जायेगा। आप कह रही हैं वारंट पर रोक लगायी जाये। ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता, यह अकल्पनीय है और मैं यह भी जोड़ सकता हूं कि ऐसा पहले कभी नहीं सुना है।’’ जयसिंह ने जोसेफ और मल्होत्रा के नामों को अलग करने के केन्द्र के निर्णय का जिक्र किया और कहा कि ऐसा नहीं किया जा सकता। सरकार को दोनों नामों की सिफारिश करनी चाहिए थी या अस्वीकार करना चाहिए था। पीठ ने कहा, ‘‘संवैधानिक शुचिता की मांग है कि इन्दु मल्होत्रा की नियुक्ति के वारंट पर अमल किया जाये।’’ शीर्ष अदालत ने कहा कि वह यह सुनकर हतप्रभ है कि बार की एक सदस्य को न्यायाधीश नियुक्त किया जा रहा है।