[video src="https://www.bharatkiawaj24.com/wp-content/uploads/2019/06/VID-20190621-WA0061.mp4" class="size-full"] जितेन्द्र तिवारी की रिपोर्ट झूंसी(प्रयागराज)।अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के शुभ अवसर पर आवास विकास योजना नंबर 3 के रामलीला पार्क में स्वामी श्री योगमाता के द्वारा शुक्रवार को सुबह 6 से 7.30 बजे तक से योगाभ्यास कराया गया। योग दिवस पर योगमाता जी ने उपस्थित जनमानस को योगाभ्यास कराते हुए स्पष्ट किया कि योग मानव के विकास की उच्चतम अवस्था है जिसमें स्थित होने पर अतीत, वर्तमान, भविष्य के बीच दूरी मे शून्यता की अनुभूति होती है।योग पूर्णत्व की अनुभूति है जिसमें स्थित होने पर शारीरिक बीमारी, मानसिक चिंता और आध्यात्मिक अज्ञानता का समापन हो जाता है तथा हृदय में आध्यात्मिक उर्जा का संचार होता है। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्व हिन्दू परिषद के जिलाध्यक्ष सर्वेश मिश्रा जी विहिप गंगापार, भाजपा नेता पिन्टू मिश्रा नेता, जिला उपाध्यक्ष विहिप आशीष सिंह, बार काउन्सिल के परमात्मा सिंह, प्रशान्त रघुवंशी, हाईकोर्ट के अधिवक्ता विनोद सिंह परमार, अशोक सिंह पूर्व महासचिव हाइकोर्ट बार एसोशिएसन, अवनीश उपाध्याय, लालता प्रसाद यादव, के0डी0 सिंह, सतेन्द बहादुर यती, अजय सिंह, गंगा समग्र स्वच्छता मिशन संयोजक काशी प्रान्त विरेन्द्र राय, रणविजय सिंह, राज सिंह, रोहित सिंह, डब्बू, अंकित यादव, अजय महतो, अमरजीत सिंह, मान्टी सिंह, उमा यादव, कुसुम, राधिका आदि के द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया। योगमाता जी के द्वारा विभिन्न आसनों में बैठकर, खड़े होकर लेटकर योग का अभ्यास कराया गया। इस अवसर पर योगमाता ने योग क्रिया पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि शरीर, मन और आत्मा को हर स्तर पर स्वस्थ रहने के लिए योग तथा आसनों का विशेष महत्व है। इनकी ऐसी कई विधियाँ हैं, जिनका नियमित अभ्यास करके पुरुष महिला पूरी तरह स्वस्थ एवं निरोगी बने रह सकते है। हर मौसम में फिट एवं स्वस्थ रहने के लिए कपालभारती, भस्त्रिका योग, भ्रामरी प्राणायाम एवं आसनों में सूर्य नमस्कार, भुजंग आदि विशेष रूप से किए जाने चाहिए, इनके नियमित अभ्यास से शरीर स्वस्थ्य रहता है।योगमाता ने बताया कि परम्परागत दृष्टि से योग शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ जीवन बिताने की कला है। ब्लड प्रेशर व हृदय रोगी रखें विशेष ध्यान : योगमाता के अनुसार ब्लड प्रेशर एवं हृदय रोगियों को सर्दी के सीजन में विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। उनके अनुसार ऐसे लोगों को सुबह जल्दी सैर करने से बचना चाहिए। साथ ही नियमित लहसुन की दो कली, मैथी दाना एक चम्मच एवं नीबू का सेवन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि ऐसे रोगियों को रात्रि के समय हल्का खाना जैसे मूंग की दाल, लौकी की सब्जी, जौ व देसी चना मिक्स रोटी खाना चाहिए। खड़े होकर सामने की ओर झुकने वाले योग व प्राणायाम नहीं करना चाहिए। योग-प्राणायाम के लाभ एवं महत्व : प्राण को अपने वश में करने की प्रक्रिया ही प्राणायाम है। योगासन शरीर के रोगों को दूर करता है। हमारे शरीर में मस्तिष्क, हृदय तथा फेफ़ड़ों का बड़ा महत्व है। योग तथा प्राणायाम शरीर में नई जान डाल देते हैं। इनसे फेफ़ड़े मजबूत होते हैं। योग तथा प्राणायाम शरीर में रक्त संचार की वृद्धि कर शरीर को रोगों से लड़ने के अनुरूप बनाते हैं। नियमित योग और प्राणायाम उसे आरोग्य रखते हैं। लंबी और गहरी श्वास शरीर के हर भाग में पहुँचकर ऊर्जा देते हैं। इन बातों व नियमों का रखें ध्यान : प्राणायाम व योग साफ, शुद्ध और शांत स्थान पर करना चाहिए। यदि पार्क में जल के किनारे किया जाए तो बहुत अच्छा है। श्वास केवल नाक से ही लें, ताकि साफ और स्वच्छ वायु आपके शरीर में जाए। लंबी-लंबी श्वास लेने का अभ्यास करें। सही स्थिति में बैठें, अपना मन शांत रखें। यदि आप किसी बीमारी, व्याधि से ग्रस्त हैं तो योग शिक्षकों से सलाह लेने के बाद ही योग-प्राणायाम करें। सामान्य स्थिति में भी योग शिक्षक की सलाह लेकर ही योग व प्राणायाम करना चाहिए। प्राणायम व योग करते समय शरीर को तनाव में न लाएँ, शांत अवस्था में सीधे बैठें तो ज्यादा लाभ मिलेगा। यदि योग व प्राणायाम करते समय थकान का अनुभव हो तो लंबी-लंबी श्वांस लें और कुछ देर आराम करें। योग व प्राणायाम का समय धीरे-धीरे ब़ढ़ाएं। शुरू में 10 मिनट अभ्यास करें फिर धीरे-धीरे ब़ढ़ाते हुए 30-45 मिनट तक करें।