जंघई (प्रयागराज)।प्रतापपुर क्षेत्र के पिलखिनी गाँव मे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन कथावाचिका मैहर धाम से पधारी अन्नपूर्णा माता ने सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाई। कथा के अंतिम दिन भी श्रीमद् भागवत का रसपान पाने के लिए भक्तों का सैलाब कथा स्थल पर उमड़ पड़ा। कथावाचिका ने श्रीमद् भागवत कथा का समापन करते हुए कई कथाओं का भक्तों को श्रवण कराया जिसमें प्रभु कृष्ण के 16 हजार शादियों के प्रसंग के साथ सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथायें सुनाई।इन कथाओं को सुनकर सभी भक्त भाव विभोर हो गए। कथा समापन के दौरान अन्नपूर्णा माता ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। साथ ही भक्तो को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है तो वहीं इसे कराने वाले पुण्य के भागी होते है।कथा का रसपान कराते हुए श्रद्धालु़ओं को कहा कि मनुष्य को सोच-समझकर बोलना चाहिए। बोलने व लिखने से पहले चिंतन करना चाहिए क्या लिखने जा रहे हैं उसे समझ लें और क्या बोलने जा रहे हैं उसके विषय में सोच लें, तभी जाकर कुछ भी बोले व लिखें ऐसे में कुछ सोच समझकर ही बोले इसी में समझदारी है।कहा कि श्रीमद् भागवत कथा श्रवण एवं सत्संग से जीवन मे अमूल्य परिवर्तन होता है।कथा के आयोजक व यजमान
राजेश मिश्रा, विनोद मिश्रा, नागेश मिश्रा ने व्यास पीठ की आरती उतारी एवं गुरुवार को हवन महाप्रसाद के साथ भागवत कथा का समापन हुआ।इस अवसर पर कुलगुरु अखिलेश शुक्ला, राजनारायण पांडेय, इंजीनियर घनश्याम पांडेय, केशरी प्रसाद पांडेय,
राजमनि दुबे, कैलाशनाथ पांडेय, राजेंद्र शुक्ला, नागेंद्र प्रताप सिंह,
विजय शर्मा, दयाशंकर मिश्रा, राम भास्कर त्रिपाठी, नन्हे मिश्रा प्रधान, राम शिरोमणि मिश्रा, उपेंद्र मिश्रा, आकाश दुबे, शुभम मिश्रा, रिंकू मिश्रा, विनोद मिश्रा, विपुल शर्मा, संजय दुबे, साकेत, विनय, विपिन, ईशू, सुमित, अभिनव, सूरज, वत्सल आदि लोग मौजूद रहे।